Saturday, August 10, 2013

काश स्त्री रोबोट होती...!

मुझे ईश्वर से शिकायत है कि उसने स्त्री में संवेदना क्यों दी? अगर उसे
इस समाज की जरूरत के लिए स्त्री बनाना ही था तो उसके पास मजबूत देह,
निष्ठुर दिल और कुन्द दिमाग क्यों नही दिया; जिसे न तो तेजाब से जलने का

भय सताता और न ही बलात्कार जैसी घिनौनी हरकत से पीड़ा होती।

क्या आपने किसी न्यूज चैनल पर कभी सुना है कि अमुक पुरुष के ऊपर किसी ने
तेजाब डाल दिया; क्या किसी अखबार में ऐसी खबर पढ़ी है? नहीं ना? सोचिए
जरा! ऐसा सिर्फ महिलाओं के साथ ही क्यों होता है?

कल न्यूज चैनल पर एक पुरुष के द्वारा ऐसा ही कुकृत्य किये जाने का समाचार
दिखाया गया जिसमें उसकी पत्नी ने पाँच बेटियों को जन्म देने के बाद छठवीं
बार गर्भधारण करने पर भ्रूण का लिंग परीक्षण करवाने जैसा पतित कार्य करने
से मना करने पर उसके नाजुक अंगों पर उसके अपने पति के द्वारा तेजाब डाल
कर जला दिया गया। 

कल्पना कीजिए कि उसकी पाँच बेटियाँ क्या सोच रही होंगी
अपने भविष्य के बारे में? क्या ये बेटियाँ ऐसे पुरूष से लड़ने की ताकत
जुटा पायेंगी..? क्या उनके अंदर एसिड से जलने का भय ताउम्र नही
सतायेगा..? काश उस स्त्री का शरीर लोहे का बना होता जिससे उसे तेजाब की
जलन महसूस न होती।

अब तो बस मन में यही आता है कि स्त्रियों को रोबोट कि तरह होना चाहिए।
जिसके अंदर कोई संवेदना ही न हो। स्त्रियों के साथ जानवर जैसा व्यवहार
करने वाले पुरूष जब जो चाहे रोबोट जैसी महिला से बटन दबाकर कोई भी कार्य
करवा डालें। चाहे वह गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग परीक्षण ही क्यों न
हो।
(रचना)

4 comments:

  1. बहुत व्यथित करने वाली घटना थी यह! आपकी यह प्रतिक्रिया सहज है !
    नारी को इसी शरीर में रोबोट बनाना होगा .......

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  2. रचना जी,
    सोचने को विवश कर गयी आपकी पोस्ट और पढ़ कर मन उद्विग्न भी हो गया। दुनिया में ऐसे का-पुरुषों की कमी भी तो नहीं है.।
    अब तो बस यही कामना है, उन पाँचों लड़कियों के फूल से बदन को फौलाद सा जिगर मिले, कम्प्यूटर सा दिमाग़ और पर्वतों जैसा हौसला। वो दुनिया का ऐसे सामना करें जैसे सूरज, अँधेरे का करता है..
    इस ख़बर को हमारे साथ साझा करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद

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  3. बहुत ही नृशंस कृत्य, लगता है हम पाषाण युग में लौट रहे हैं, मन उद्विग्न और क्रोध से संतप्त होता है.

    रामराम.

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  4. अफ़सोसजनक। लगता है कि एक तरफ़ दुनिया आगे बढ़ रही है लेकिन इसी समाज के कुछ लोग दुगुनी तेजी से और जाहिल होते जा रहे हैं।

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