Saturday, January 11, 2014

झाड़ू के बाद चाहिए पोंछा

जबसे दिल्ली में एंटीकरप्शन दवा का छिड़काव हुआ है तबसे करप्शन वाली बैक्टिरिया ने अपनी सेफ्टी के लिए एंटीकरप्शनब्यूरों के अफसरों और पॉलिटिशियन्स के साथ सांठ-गांठ कर छिड़काव करने वाले डॉक्टर पर अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पैरामेडिकल स्टाफ को पटाने की कोशिश में शुरुआती सफलता मिलती दिख रही है। डॉक्टर साहब यह भूल गये हैं कि हास्पिटल में पैरामेडिकल स्टाफ भी ट्रैंड होना चाहिए। इनकी हाइजीन गड़बड़ हुई तो सारा प्रयास बेकार हो जाएगा।

बीमारी कैंसर की हो या करप्शन की डॉक्टर को आधे-अधूरे उपचार से परहेज करना चाहिए। एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स न दिया जाय तो बीमारी का संक्रमण खत्म होने के बजाय और तेजी से फैलता है। ऐसे में बीमारी का किटाणु उस दवा के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेता है।

कैंसर के उपचार में सर्जरी से लेकर कीमोथिरैपी तक की विधि में अलग-अलग प्रकार के स्पेशलिस्ट की जरूरत पड़ती है। अगर ऐसा होता कि सर्जन ही रेडियोलोजिस्ट और कीमोथिरैपिस्ट का कार्य भी कर लेता, तो क्या जरूरत थी सरकार को इतने बड़े-बड़े खर्चे करके अलग-अलग विशेषज्ञ तैयार करने की। जनरल फिजीशियन से साधारण बीमारियों का इलाज तो करा सकते हैं लेकिन जब कोई गम्भीर बीमारी हो जाय तो कई विशेषज्ञों को लगाना पड़ता है।

करप्शन का रोग तो कैंसर से भी ज्यादा विकराल रूप ले चुका है। मिस्टर केजरीवाल के इरादे देश से करप्शन मिटाने के तो नेक है लेकिन इनके आधे-अधूरे उपचार से बात नहीं बनने वाली। मि. केजरीवाल इस देश से जिस बीमारी को साफ करने की बात कर रहे हैं उस बीमारी के वायरस और बैक्टिरिया अब उनकी आम आदमी पार्टी से ही चिपकने की कोशिश करने लगे हैं। ये लोग भी जब उसी भ्रष्ट राजनीति के तेल-मसाले में सने पकौड़े खा रहे हैं, उसी अनहाइजेनिक नौकरशाही की धूल-मिट्टी में लोट-पोट हो रहे हैं और सबकी रातोरात धनवान और शक्तिशाली बनने की लालसा से भरी हुई प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं तो इस बीमारी से खुद को भला वे कैसे उबार पाएंगे? रोग से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए सिर्फ झाडू- खरहरा से काम नहीं चलने वाला; जबतक कि उस पर भरपूर मात्रा में फिनायल डालकर पोंछा न मारा जाय।

इस आम आदमी पार्टी के वश में करप्शन जैसी बीमारी से अकेले अपने दम पर पार पाना मुश्किल लग रहा है। मुझे लगता है कि इस बीमारी को जड़ से साफ करने के लिए एक और पार्टी का गठन करना पड़ेगा। ऐसी पार्टी जो झाड़ू की सफाई के बाद उड़ने वाली धूल को मिटाने के लिए धुलाई और पोंछा लगाने का काम भी पूरा कर सके। इस कार्य को आम औरतें ही पूरा कर सकती हैं, क्योंकि इसकी विशेषज्ञता उनके पास है और इसके लिए कमरतोड़ मेहनत करने में उन्हें महारथ हासिल है। आम औरत में एक प्रबल गुण यह भी होता है कि वह आम और खास के बीच कोई भेद नहीं करती। सबके प्रति एक सामान्य दृष्टि रखती है और अच्छे बुरे का भेद खूब पहचानती है।

मैं आज इस पार्टी के नाम की घोषणा करती हूँ- “आम औरत पार्टी” जिसका चुनाव चिन्ह होगा “पोछा”। इस पार्टी की सदस्यता नि:शुल्क दी जाएगी। जहाँ की सफाई झाड़ू से नहीं पूरी हो सकेगी वहाँ पहुँचकर यह पार्टी पोंछा लगाएगी। हमें विश्वास है कि इस पार्टी की मदद से करप्शन जैसी बीमारी को धो-पोंछ कर इस देश के बाहर फेंक दिया जाएगा।

(रचना त्रिपाठी)

8 comments:

  1. चकाचक लेख!
    पोंछा पार्टी की स्थापना के लिये मुबारकबाद!

    शपथ ग्रहण समारोह का इंतजार है।

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  2. Congratulations...................... ........Aam aurat partee jindabad............................kk

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  3. आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन लाल बहादुर शास्त्री जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. पोछे का पंजीकरण हुआ अब तक या नहीं? :-)

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  5. मेरा वोट पक्का समझिये !

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  6. वाह रचना... बहुत सुंदर लेख. पढ़कर मज़ा तो आया ही, दिमाग़ को नई ख़ुराक भी मिली.

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  7. बहुत अच्छा! आपकी पार्टी को मैं बाहर से समर्थन दूंगा.

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  8. सही. सदस्यता मिलेगी क्या?

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