जज साहब ने एक मुजरिम को सजा के तौर पर दो विकल्प दिए-
१-सौ जूते खाओ या २- सौ प्याज खाओ। मुजरिम ने सौ प्याज खाने को मंजूर किया। जब प्याज खाना शुरु किया तो उसे लगा कि यह तो बड़ा ही असहनीय है, तो उसे सौ जूते खाना ज्यादा सरल लगने लगा। जज साहब से बोला, ‘मै जूते ही खाउंगा’। इस तरह जब वह जूते खाना शुरु किया तो, दो-चार जूते खाने के बाद, उसे यह सजा भी ज्यादा कठिन लगने लगी। उसने फिर बोला , ‘जज साहब मै प्याज खाउंगा; और प्याज खाना शुरु कर दिया। इस तरह बारी-बारी से उसने जूते भी खाये और प्याज भी।
आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने लोकपाल कानून बनाने की सहमति दे दी, और दिल्ली में मुख्यमंत्री के पद के लिए केजरीवाल को समर्थन भी। इस पार्टी की इस बेबसी को देखकर यही लगता है कि इसने सौ जूते भी खाए और सौ प्याज भी।
भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल कानून में ४०प्रतिशत पर सफलता तो मिल गयी, लेकिन ६० प्रतिशत पर बात अभी अटकी पड़ी है। हमें तो लगता है कि अन्ना के लोकपाल बिल में ६०प्रतिशत दिल्ली के मुख्यमंत्री की गद्दी पर विराजमान शीला दीक्षित को कहीं हटाना तो न था… अगर ऐसा है तो अन्ना का मिशन पूरी तरह कामयाब होता नजर आ रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं में बढ़ती असुरक्षा का बोध, और भ्रष्टाचार ने आम जनता के सब्र का बांध तोड़ डाला। नतीजतन ‘आप’ का अभ्युदय हुआ जिसकी बागडोर अरविंद केजरीवाल के हाथ में है।
एक मीडियाकर्मी ने शीला दीक्षित से कहा कि, ‘आपकी पार्टी अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता से चिंतित नजर आ रही है। उन्होंने झट से जवाब दिया कि ‘कौन है अरविंद केजरीवाल?’
जब अन्ना हजारे का आंदोलन चरम छू रहा था उस समय कांग्रेस के कर्णधार कपिल सिब्बल ने अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल की खिल्ली उड़ाते हुए यह कहा था कि कानून को संसद बनाती है, न कि रामलीला मैदान में जमा होने वाली भीड़। याद होगा कि द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के ऊपर किए गए एक व्यंग भरे उपहास ने युगों युगों तक याद रखने वाला महाभारत रच दिया। कपिल सिब्बल ने तो पूरे लोकतंत्र का ही मजाक उड़ा डाला। राजशाही के नशे में धुत्त इन्हें तनिक भान न था कि आम जनता के ऊपर की गई टिप्पणी की कीमत कांग्रेस को अपनी गद्दी गवांकर चुकानी पड़ेगी।
(रचना त्रिपाठी)
यकीनन
ReplyDeleteअच्छा लिखा है। नियमितता बनायें रखें।
ReplyDeleteExcellent comment on contemporary politics at New Delhi in plain and simple words. Keep it up. We expect much more from your pen.
ReplyDeleteअच्छा लगा।
ReplyDeletegood,likhati rho.............k.k.
ReplyDeleteकांग्रेस के अहंकार के कारण ही यह सब हुआ है।
ReplyDeleteअन्ना तुम निश्चिन्त रहो जनता जाग गई है । जयप्रकाश का ऑदोलन आज रँग लाया है ।
ReplyDeleteबहुत सही
ReplyDeleteबढिया पोस्ट
अहंकारियों का हश्र ऐसा ही होता है ।
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