यह है भारतवर्ष के युवराज का नारा और हमारे देश की हकीकत। पूरे नौ साल तक राज करने के बाद यह सरकार आखिरकार आ ही गयी अपनी असलियत पर। पूरी बेशर्मी से यह बताती हुई कि देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा आज भी रोटी का ही मोहताज है। वोट की राजनीति देखिये अभी क्या-क्या गुल खिलाती है। सत्ता में आने से पहले इस पार्टी ने कितने लम्बे चौड़े वादे अपने देश के युवा वर्ग से किये थे। देश का कोई युवा बेरोजगार नहीं रहेगा। हर गाँव में बिजली और पानी की व्यवस्था की जायेगी। सभी वर्ग के लिए उचित शिक्षा का प्राविधान होगा। गाँव-गाँव, नगर-नगर में खुशहाली ही खुशहाली होगी और होगा - एक नये भारत का निर्माण..। लेकिन फिर से बात रोटी पर ही आकर अटक गयी।
राहुल गाँधी की इस नारेबाजी (हम आधी रोटी नहीं पूरे तीन-चार रोटी खायेंगे और काँग्रेस को ही लायेंगे) पर मेरा मन अत्यंत दुखी है। क्या ऐसा नहीं लगता कि आज भी हम उसी ब्रिटिश शासन की मानसिकता के तले दबे हुए है? यह सरकार पूरे नौ साल तक किन विकास के कार्यों में लगी रही कि आज भी हमारे देश की जनता एक रोटी के लिए मोहताज हो गयी है? ऐसा तो नहीं कि इस जनता को जानबूझकर एक रोटी के लिए मोहताज बना दिया गया? ताकि फिर सत्ता में बने रहने के लिए गरीब वर्ग को रोटी देने का हवाला देकर वोट बटोरा जा सके। शर्म आनी चाहिए इस नारेबाजी पर। अब हम गुलाम नहीं है, आजाद देश के नागरिक हैं लेकिन अफसोस, अभी भूख से ही आजादी नहीं मिल पायी है। उसपर ऐंठन यह कि सरकार चलाना तो बस हम ही जानते हैं...!
“उठो, जागो और लक्ष्य मिलने से पहले मत रुको”- यह आह्वान स्वामी विवेकानंद ने भारतवर्ष में युवाशक्ति की आध्यात्मिक और सृजनात्मक शक्ति को जाग्रत करने किए दिया था। अब समय आ गया है कि इसे नये परिदृश्य में साकार किया जाय। आज के युवा को दिग्भ्रमित नहीं होना चाहिए, उसके पास असीम शक्ति है। हमारा नेता ऐसा होना चाहिए जिसके लिए राष्ट्रसेवा ही सर्वोपरि धर्म हो.. उनमें समर्पण, त्याग और बलिदान की भावना हो.. जो अपने लिए नहीं इस देश की जनता के लिए सपने देखता हो..जो धार्मिक और जातिगत संकीर्णाताओं से ऊपर उठकर राष्ट्र के नवनिर्माण की परिकल्पना की बात करता हो।
आज हमें एक राष्ट्रनायक (स्टेट्समैन) की तलाश करनी है न कि राजनेता (पॉलिटीशियन) की। आप पूछेंगे – इनमें अन्तर क्या है? मैं बोलूंगी- स्टेट्समैन वह है जो अपनी नीतियाँ देश की अगली पीढ़ी को ध्यान में रखकर बनाता है और राजनेता वह है जो अपनी नीतियाँ देश के अगले चुनाव को ध्यान में रखकर बनाता है।
क्या हमें कोई राष्ट्रनायक मिलेगा? ढूँढते रह जाओगे।
(रचना)
राजशाही की ओर बढ़ रहे हैं हम। जो मिले ,सरकार की कृपा से मिले !!
ReplyDeleteसटीक चिंतन ..
ReplyDeleteयुवा वर्ग को जागने की आवश्यकता है !!
यथार्थ परक चिंतन. युवा वर्ग को सोचने की आवश्यकता है .
ReplyDelete''आजाद देश के नागरिक हैं ''
ReplyDeleteHahahaa....sahi kaha apne
आज एक राष्ट्रनायक को देश के राजनैतिक क्षितिज पर औपचारिक रूप से एक राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व सौंपा गया है। उम्मीद कीजिए कि कुछ अच्छा हो और यह काठ की हाँड़ी न साबित हो।
ReplyDeleteअच्छा आह्वान है! राष्ट्रनायक भी मिलेंगे।
ReplyDeleteलोकतंत्र तो कहीं खो सा गया है !!
ReplyDeleteसुन्दर.अच्छी रचना.रुचिकर प्रस्तुति .; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारिये ,
स्टेट्समैन वह है जो अपनी नीतियाँ देश की अगली पीढ़ी को ध्यान में रखकर बनाता है और राजनेता वह है जो अपनी नीतियाँ देश के अगले चुनाव को ध्यान में रखकर बनाता है।
ReplyDeletebahut khoob
:)
ReplyDeleteअत्यंत सारगर्भित एवं सुन्दर.....
ReplyDeleteसाधु वाद
अत्यंत सारगर्भित एवं सुन्दर.....
ReplyDeleteसाधु वाद
अत्यंत सारगर्भित एवं सुन्दर.....
ReplyDeleteसाधु वाद