मना लो अम्मा-चाची आज महिला दिवस
कल तुम्हारे छोटे बेटे की शादी है न
फिर तो तुम भी हो जाओगी व्यस्त
अपनी नई नवेली दुल्हन के स्वागत में
बड़ी बहू ने तो सिर्फ बेटियां ही जनी
है
देखना इस बार कोई चूक न हो जाय
बड़े-बुजुर्गों का उसे आशीर्वाद
दिलवाने का
पहले से ही कर लेना सारा प्रबन्ध
टेंट-शामियाना,
मेज-कुर्सी, चौकी-बेलन
पड़ोसी के घर से एक छोटे से बच्चे का
छुपा देना उस कलमुंही की बेटियों को
रोते बिलखते किसी बंद कमरे में
कहीं पड़ न जाये उनकी परछाईं कोहबर
में
झट से डाल देना दुल्हन की गोद में
लड्डू खिलाते उस पड़ोसी के पोते को
कल फिर मना लेंगे महिला दिवस
(रचना त्रिपाठी)
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