Saturday, August 23, 2014

उभय-लिंगी चोला

आज के इस दौर में लड़कियों और स्त्रियों के प्रति बढ़ती असुरक्षा और हमारे कथित खैरख्वाहों की बयानबाजी को देखते हुए मेरे मन को एक तरकीब सूझ गयी है। लड़कियों की छेड़छाड़ से लेकर उनका यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार का कारण उनके पहनावे को बताया जा रहा है। सूरज उगने से पहले और डूबने के बाद इस औरत जात को घर से बाहर निकलने की बीमारी भी एक बड़ी समस्या है जो समाज के ठेकेदारों से सम्हाले नहीं सम्हल रही है। मैं जो सोच रही हूँ उसे आप इस समस्या का वैज्ञानिक समाधान भी कह सकते हैं -

सरकार को चहिए कि स्त्री और पुरुष दोनो को घर से बाहर निकलने पर एक ही जैसा वस्त्र यानी ‘उभय-लिंगी चोला’ पहनना अनिवार्य कर दे; ठीक वैसे ही जैसे स्कूली बच्चों के लिए यूनिफार्म में होना जरूरी होता है। इस चोले की बनावट ऐसी होनी चाहिए जिससे वह पूरे ‘बदन’ को अच्छी तरह से ऊपर से नीचे तक ढक लें…इस प्रकार कि घर से बाहर निकलने वाला वह मनुष्य स्त्री है या पुरुष, लड़की है या लड़का इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाय… और बाहर निकलने वाला प्रत्येक व्यक्ति “पादरी” लगने लगे। इस चोले को पहनने के बाद किसी के मन में असमानता की भावना या हीनता ग्रन्थि नहीं पनपने पाएगी… अमीर- गरीब सभी एक समान दिखेंगे...घर से बाहर जाने वाले वाले सभी लोग यूनीफार्म में एक ही जैसे नजर आने लगे तो सड़क पर आवारा घूमते जानवरों, सॉरी शोहदों के द्वारा स्त्रियों की पहचान करना मुश्किल हो जायेगा। जिससे लड़कियों के साथ बलात्कार और एसिड अटैक जैसी घटनाओं की कोई गुंजाइश ही नहीं रह जाएगी।

दूसरी तरफ हमारे खैरख्वाह भी लड़कियों और माताओं-बहनों के वस्त्र पर बेवजह टिप्पणी करने की तकलीफ से बचे रहेंगे… स्त्री-पुरुष के अंदर एक दूसरे को देख आकर्षण बल में भी कमी आएगी; स्त्री का बदन ढका रहेगा तो उसे देखकर उसी की तरह ढके बदन वाले पुरुष को कोई उत्तेजना नहीं पैदा होगी और स्त्री देह पर यौन हमले की घटनाओं में भारी गिरावट आ जाएगी…। इस तरह सामाजिक वातावरण भी स्वस्थ बना रहेगा। काम वसना से प्रेरित पुरुष अगर किसी स्त्री से दुराचार करने का दुस्साहस करेगा भी तो उसकी सफलता का प्रतिशत बहुत ही कम रहेगा क्योंकि ऐसा करने में उसे बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा... पकड़े जाने के डर से  उसके पास छोड़कर भाग निकलना ही एक मात्र विकल्प बचेगा और पादरी के परिधान में सरपट भागना भी आसान नहीं होगा। फिर कोई मूर्ख ही ऐसा रिस्क लेगा अपनी फजीहत कराने के लिए।

(रचना त्रिपाठी)

5 comments:

  1. वाह ! क्या सुझाव है . :)

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  2. बहुत सही. शानदार सुझाव है सच्ची :)

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  3. यह सुझाव घर से बाहर बचाव के लिये हैं। लेकिन जो घटनायें घरों में होती हैं उनसे कैसे बचाव होगा?

    अच्छा लेख!

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  4. in other words convert india to saudi arabia ... isn't it ?

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