यूपी सरकार के पास तरक्की के उन नायाब नुस्खों में से एक नुस्खे का कोई जवाब नहीं है! गजब का है यह नुस्खा जिसका नाम है ‘मुहैया’। इसे यह सरकार आए दिन अपने राज्य के लोगों को उपलब्ध कराती रहती है। अखिलेश यादव ने हाईस्कूल-इण्टर पास बच्चों को टैबलेट और लैपटॉप ‘मुहैया’ कराया। बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता, किसी बिजली के खंभे से लटके हुए मनुष्य को हजार से लेकर लाख रुपए तक नगद ‘मुहैया’ कराया है।
बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार उन लड़को को क्षमा-दान जैसा महादान तक भी ‘मुहैया’ कराने पर लगे हुए हैं। एक युवा मुख्यमंत्री से आप और क्या उम्मीद कर रहे हैं.. अभी इन्हें जुम्मा-जुम्मा ढाई साल ही तो हुए मुख्यमंत्री बने…। अभी तो ढाई साल और बचे है… देखिए अभी कितने बड़े-बड़े कारनामें ‘मुहैया’ करते हैं…।
यहां हमारी बेटियों के लिए तो नाना-प्रकार की उपलब्धियाँ ‘मुहैया’ है। एसिड अटैक में घायल लड़कियों के लिए मुफ्त इलाज और उनके घर वालों के लिए नगद रुपए; छेड़खानी और बलात्कार के बाद पीड़िता की हालत अगर नाजुक हो गई, तो यह ‘मुहैया’ पचास हजार से एक लाख तक कर दिया जाता है।
हमारी सरकार द्वारा प्रदत्त ये सारे तोहफे जो हमने ‘मुहैया’ के नमूने के तौर पर पेश किया है वह उपहार तब और कीमती हो जाता है जब यहां हमारी बेटियों के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करके किसी नदी-नाले में बहा दिया जाय या किसी पेड़ पर टांग दिया जाय। तब ‘मुहैया’ की कीमत जानना चाहेंगे आप..? पांच लाख तक..! यहां एक माँ की कोंख और आंसू की कीमत तक ‘मुहैया’ कराया जाता है।
हम माताओं के सीने में तो सिर्फ जलन है! जिसका उपचार न तो यह सरकार मुफ्त में करा पाएगी और ना ही ‘मुहैया’ से ठंडा कर पाएगी। क्योंकि हम तो अपनी जुबान पर ताला मारे बैठे हैं कि कहीं कोई ‘यादव’ डॉक्टर या किसी ‘यादव’ सिपाही के भेंट चढ़ गये, तो बाकी बच्चियों का क्या होगा..? सरकार का नजरिया भी हमारी बेटियों के लिए यही है कि वे तो सिर्फ हाड़-मांस की बनी भोग की वस्तुएँ है। अलबत्ता भैंसो की सुरक्षा के लिए तो यहां पुलिस और प्रशासन दोनों ही बड़े काबिल हैं..।
(रचना त्रिपाठी)
संवेदनशील पोस्ट!
ReplyDeleteसरकार/समाज के बारे में जितना कहा जाये-कम है!
दुखद स्थिति है !
ReplyDeleteकाश, प्रशासन भी मुहैया करा पाते ये अक्षम लोग ...
ReplyDeleteयूपी सरकार खबरों के लिये हेडलाइन्स भी मुहैय्या कराती है - भले ही गलत कारणों से।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!!
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