Thursday, August 20, 2009

चम्पा आई रे...!

maid-servant आज मैं बहुत खुश हूँ। मालूम है क्यों?

इसलिए नहीं कि किचेन में व्यस्त हूँ बल्कि इसलिए कि आज मेरी चम्पा आ रही है। अब आप पूछेंगे चम्पा कौन है?

अरे!.. वही जिसके रहने से मेरी आँखों में खुशियां हमेशा बरकरार रहती है। जिसके चले जाने से मुझे ब्लॉग देखे कई सप्ताह बीत गये हैं। आजकल मुझे अपने बीतते समय का पता ही नहीं चल रहा है। मेरे लिए दिन और रात दोनों एक ही समान हो गये है। कब आराम करना है और कब काम करना है, यह निश्चित ही नहीं हो पा रहा है। मुझे अब पता चला है कि मेरे घर में खुशियों के पीछे चम्पा की भूमिका कितनी है?

एक दिन भी अगर मुझे घर में अकेले रहना पड़ जाता है तो घर मुझे काटने को दौड़ता है। असल में मेरी ससुराल एक संयुक्त परिवार में है। अपने पति और बेटी-बेटे के अलावा घर में कुल तीन जोड़ी सास-ससुर, दो जोड़ी जेठ-जेठानी एक देवरानी, पाँच देवर (चार कुँआरे), व छ: भतीजे हैं। तीन ननदें भी हैं और इनसे छः भान्जे-भान्जियाँ। इन सबके बीच रह कर जो मजा मुझे आता है उसका वर्णन कठिन है। शायद आप आसानी से इसका अंदाजा भी नही लगा सकते। अब तो श्रीमानजी की सरकारी नौकरी के कारण मुझे अपने भरे पूरे घर को छोड़कर बाहर रहना पड़ता है। यह सारी चहल-पहल घर से दूर रह कर मैं बहुत मिस करती हूँ, लेकिन इस बात कि खुशी है कि मेरे पास घर के लोगों का बराबर आना-जाना लगा रहता है। घर से दूर होने के बावजूद उन लोगों का प्यार बना रहता है।

आजकल संगम नगरी में होने की वजह से सास-ससुर के अलावा गाँव में रहने वाले दूसरे लोगों की सेवा के अवसर भी मिलते रहते है। इलाहाबाद तीर्थ-स्थल तो है ही, साथ ही शिक्षा के लिए भी यह पूर्वी उत्तर प्रदेश का सर्वोत्तम शहर माना जाता है। इस शहर में कंपटीशन की तैयारी करने वाले हमारे अपने नाते-रिश्तेदार भी बहुत है इसलिए मुझे जब भी किसी चीज की जरूरत होती मै इन्हें बुला लिया करती हूँ। यह तो रही ससुराल वालों की उपस्थिति, लेकिन मायके का सुख भी यदा-कदा मिलता रहता है। पापा, मम्मी, छोटा भाई, भैया, दोनो भाभियाँ और भतीजे यहाँ-वहाँ मिलते ही रहते हैं। कुल मिलाकर अपनों के सानिध्य का सुख मिलता ही रहता है। लेकिन पिछले पन्द्रह दिनों से इस सुख में खलल पड़ गया है। इसकी वजह वही चम्पा है जो पहाड़ पर अपने गाँव चली गयी है। मैं इस समय सारा ध्यान किचेन की साफ-सफाई और पाक-कला में लगा रही हूँ।

जब मेरी चम्पा रहती है तो मुझे कुछ अलग तरह की खुशी होती है। तन को सुख और मन को शांति मिलती है, दिल को करार आता है। अपने बच्चे प्यारे लगने लगते है। पति महोदय पर भी कुछ ज्यादा प्यार आता है। घर की खुशियों में चार-चाँद लग जाता है। सब कुछ कूल-कूल लगता है। लेकिन जब वो नहीं है तो मेरी दुनिया ही सिमट गयी है...।

बहुत दिनों से ये कह रहे हैं चलो तुम्हें  पिक्चर दिखा लाऊँ। सिविल लाइन्स चलकर सॉफ़्टी कॉर्नर की आइसक्रीम खिला लाऊँ। अब तो ‘कमीने’ भी लग गयी है और ‘लव आजकल”  भी। बच्चों को कृष्ण जन्माष्टमी की झाँकी भी दिखानी थी, लेकिन यह सब कुछ नहीं हो सका, क्योंकि मैं किचेन में काफी व्यस्त हूँ।

आज मेरा भी मन हो रहा है बिग बाजार, मैक्डॉवेल्स और सिनेप्लेक्स जाने का, पिक्चर देखने और मौज-मस्ती से इश्क लड़ाने का...! मालूम है क्यों ? क्योंकि मेरी चम्पा आ रही है। अरे वही चम्पा जिसे हमने किचेन सम्हालने के लिए काम पर लगा रखा है। हमारी मेड-कम-कूक। बस इससे ज्यादा और कुछ नहीं। केवल सुबह-शाम एक-दो घण्टे के लिए आती है, लेकिन वो है बड़े काम की। जब तक उसने ‘ब्रेक’ नहीं लिया था तबतक मुझे इसका अन्दाजा भी नहीं था।

कोई भी व्यक्ति छोटा हो या बड़ा, सबका अपना एक अलग महत्व होता है। घर में बच्चा हो या बड़ा, सबका एक अपना व्यक्तित्व होता है। हर व्यक्ति के अंदर कुछ न कुछ खास बात जरूर होती है। कौन इंसान   किसके लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है।

आज मुझे भी इस बात एहसास हुआ कि चम्पा जो चंद पैसों  के लिए हमारे घर में काम करती है उसका होना भी हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है।

(रचना त्रिपाठी)

19 comments:

  1. चम्पा के लौट आने की बधाई. :) अब तो मिठाई की बनती है.

    बहुत अच्छा लगा पढ़कर.

    आज ही दस दिनों की टेक्सस यात्रा से लौटा. अब सक्रिय होने का प्रयास है.

    अब लगातार पढ़ना है, नियमित लिखें..

    सादर शुभकामनाऐं.

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  2. बहुत कमाल का लिखा है जी आपने. चम्पा के आने की बधाई और समीरजी वाली मिठाई की बात हमारी तरफ़ से भी समझी जाये.:)
    बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. चम्पा के बहाने इतनी सुघर प्रविष्टि मिल गयी । अब चम्पा आ रही है तो कुछ और नवीन और अभिनव पढ़ने को मिलेगा । आभार ।

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  4. बहुत बहुत बधाइ आज इस से बडा सुख कोई नहीं है जै हो चँपा बाई की आभार्

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  5. सबकी उपस्थिति का महत्व है, यही तो प्रकृति का नियम है
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    मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव

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  6. der aaye durust aaye.bas aise hi aati rahiye.bada lamba antaral kar diya tha aapne.

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  7. बधाई -चंपा के साथ कोई चमेली भी आती ही होगी चम्पा का हाथ बटाने !

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  8. मानविय भावनाओ एवम सवेदनाओ पर मार्मिक बाते एवम व्यवाहारिकानुभवो से लोगो को लाभान्वित किया-शुक्रिया
    हे प्रभू द्वारा शुभ मगल!
    आभार
    मुम्बई टाईगर
    हे प्रभू यह तेरापन्थ

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  9. बहुत हि सुन्दर लिखा है आपने .................ढेरो शुभकामनाये

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  10. सबका महत्व होता है जब वह खुद से जुड़ जाते हैं ..लिखती रहे

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  11. अच्छी बात. चम्पा के बहाने एक महीने बाद ब्लॉग तो पढ़ने को मिल गया.

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  12. बहुत रोचक पोस्ट! सही मायने में ब्लॉगिंग है यह!

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  13. hrek grhini ke man ki bat kh di aapne .
    bhut bdhiya post .

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  14. kya baat ha, aayi der se lekin chhane me koi kasar nahi rahi,bas ab is tar ko tutne na digiyega

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  15. Congratulations as Your champa is back. I am aware about her importance.....as I was among the fortunates who tasted her dishes.....

    Thanks
    Once again Congrats.....

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  16. आपकी पोस्ट पढ़कर एक पुराना गीत याद आ गया- चम्पावती आ जा...वाकई अगर चम्पा ना आए तो किचन का क्या हो..मैंने ब्लॉग की दुनिया में नया दाखिला लिया है. अब पढ़ना-कहना लगा ही रहेगा

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  17. आजकल तो इन च्म्पाओ का इन्तजार ईश्वर से अधिक रहता हैं,ये च्म्पाये आती हैं तो ह्रदय और मष्तिष्क में शांति बनी रहती हैं,बस सुबह सुबह दरवाजे की घंटी बज जाये ,और ये चम्पा चमेली ,घर आ जाये .तो पूरा दिन बड़ा खुशनुमा सा बीतता हैं .आपको चम्पा के आने की बहुत बहुत बधाई . अब कुछ दिन आराम कीजिये . अच्छी पोस्ट

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  18. बात तो ठीक ही है। हमारे घर जब चम्पा नहीं आती तो मुझे मुन्ने की मां को लेकर बाहर खाना खाने जाना पड़ता है।

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  19. Really You are the great indian nari. aajakal to log aisa nahi sochte,ghar me aate hi kaise ghar ko alag alag kar tukdo me bat de bus isi me lage rahte hai mano unhe shiksha hi is baat ki mili hai.Haa kuch jagah kosis karte huue bhi parivar ke sadasya co-operate nahi karte hai.hamare hi relatives me i know one person jinhe kafi taklifo ka samna karna pada.Lekin aaj kal adhiktar joint family ko todne me lagi rahti hai sirf apni swatantrata ke liye.Really joint family me rahne ka jo maja hai uska warnan kar pana mere liye sambhav nahi hai.

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