टूटी-फूटी
एक गृहिणी की डायरी...
Friday, February 23, 2024
परीक्षा-काल
›
एक जमाना बीत गया स्कूल कॉलेज छूटे हुए परन्तु जब भी यह मौसम आता है, अचानक अपने इम्तिहान के दिनों की याद आने लगती है। मानों अब भी किसी परीक्ष...
Tuesday, February 20, 2024
लौटा दो मेरी चिट्ठियाँ
›
दो दिन बाद पच्चीसवीं सालगिरह है। पता नहीं सुबह से बक्से में क्या टटोल रही है? न जाने कौन सा खजाना उसके हाथ लग गया है। उसी में उड़ी-बुड़ी जा ...
1 comment:
Tuesday, January 30, 2024
सनातन प्रश्न- क्या बनेगा?
›
‘बचना ऐ हसीनों लो मैं आ गया’ की तरह यह एक सवाल “क्या बनेगा?” हर दो घंटे बाद हम जैसी ‘हसीनों’ के सामने सीना तानकर खड़ा हो जाता है। यह उन हसीन...
1 comment:
Thursday, September 14, 2023
सबदिन की हिंदी या एक दिन की?
›
एक वह भी जमाना था जब हम बच्चे न तो ‘क्यूट’ हुआ करते थे और न ही ‘स्मार्ट’। मम्मियों को यह सब मालूम ही नहीं था। वे तो अपनी भाषा में ही बच्चों ...
Tuesday, September 5, 2023
ढक्कन-ए-सिन्होरा
›
विवाह के समय में बहुत कुछ नया-नया मिलता है। इसमें सिन्होरा का बड़ा महत्व है। इसकी ख़रीदारी करते हैं दुल्हन के भावी जेठ जी। लेकिन खरीदते समय ...
Tuesday, August 29, 2023
दिल चाँद सा है मेरा
›
दिल चाँद सा है मेरा, सनम उतरो ज़रा आहिस्ता, आहिस्ता… रखो ना हकतलफ़ी इतनी अभी ठहरो ज़रा आहिस्ता, आहिस्ता… छप जाएँगे वे इश्किया अभी लिखो ज़...
Thursday, June 15, 2023
आपके पास कथरी बची है क्या?
›
ऐसा कहा जाता है कि इंसान जबतक अभाव में रहता है तबतक किसी के प्रभाव में रहता है। मतलब मजबूरी में ही अधीनता सही जाती है। समझौता किया जाता है। ...
2 comments:
›
Home
View web version