एक गृहिणी की डायरी...
दिल चाँद सा है मेरा, सनम
उतरो ज़रा आहिस्ता, आहिस्ता…
रखो ना हकतलफ़ी इतनी
अभी ठहरो ज़रा आहिस्ता, आहिस्ता…
छप जाएँगे वे इश्किया
अभी लिखो ज़रा आहिस्ता, आहिस्ता…
दिल चाँद सा है मेरा…
(रचना त्रिपाठी)
#softlanding #chandrayaan3mission
आपकी शालीन और रचनात्मक प्रतिक्रिया हमारे लिए पथप्रदर्शक का काम करेगी। अग्रिम धन्यवाद।
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