tag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post8079274753295701585..comments2024-02-20T18:32:58.638+05:30Comments on टूटी-फूटी: कानून के रक्षक या भक्षक... मानव या दानव?रचना त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-36946149324207319172009-05-11T13:04:00.000+05:302009-05-11T13:04:00.000+05:30उफ़ ! हद है !उफ़ ! हद है !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-5047246323239826792009-05-10T11:46:00.000+05:302009-05-10T11:46:00.000+05:30मैं तो आज तक ये नहीं समझ पाया की वकील नाम के प्राण...मैं तो आज तक ये नहीं समझ पाया की वकील नाम के प्राणी किस लिए जीते है.... <br />अभी तक तो आपराधियों को सजा से बचने के लिए लड़ते है अब खुद ही अपराधी बनने के रस्ते पर चल पड़े है...दिल दुखता है...https://www.blogger.com/profile/01205912735867916242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-6539468363436885352009-05-10T08:25:00.000+05:302009-05-10T08:25:00.000+05:30दिनेश जी सही हैं -दरअसल मानव अभी भी कबीलाई मानसिकत...दिनेश जी सही हैं -दरअसल मानव अभी भी कबीलाई मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया है और जब खतरा कुनबे पर मडराता है तो वे हिसक मन जाते हैं -मानवता तार तार हो उठती है ! आपका आक्रोश जायज है पर यह ग्रुप मानसिकता ही ऐसी है ! पूरा समाज ही ऐसे ग्रुपों में बटा है -डाक्टर और वकील दोनों ही जबर्दस्त ग्रुप है ! तो भिड पडेंगें ही !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-66404296602359286652009-05-09T20:55:00.000+05:302009-05-09T20:55:00.000+05:30पाण्डेय सर सही कह रहें हैं .पाण्डेय सर सही कह रहें हैं .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-24852084959348463652009-05-09T16:27:00.000+05:302009-05-09T16:27:00.000+05:30इत्ते स्मार्ट लग रहे हैं टाई सूट में! लगता है जैसे...इत्ते स्मार्ट लग रहे हैं टाई सूट में! लगता है जैसे किसी फिल्म में एक्शन हीरो हों। <br />आप एक छोटी-मोटी नर्स को जरा सी असुविधा के लिये परेशान न हों! <br />हम तो शौर्य पर बलिहारी हैं। <br />वैसे हमारे डाक्टर मित्र भी ऐसा शौर्य दिखाने में सक्षम हैं!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-8227033855418299582009-05-09T12:37:00.000+05:302009-05-09T12:37:00.000+05:30आज के समय में दोनों वगो ने रक्षक और भक्षक का काम क...आज के समय में दोनों वगो ने रक्षक और भक्षक का काम करने का ठेका ले रखा है.महेन्द्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/00466530125214639404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-20053378253964330692009-05-09T12:32:00.000+05:302009-05-09T12:32:00.000+05:30अब क्या कहें?दोनों ही पक्ष इतने जिम्मेवार है की लो...अब क्या कहें?दोनों ही पक्ष इतने जिम्मेवार है की लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते है..!अब ये ही इस तरह लड़ने लगे तो फिर..आम जनता से क्या अपेक्षा रखें?ठीक है विवाद हो सकता है..पर इससे आम जन क्या प्रेरनना लेगा?थोडा धैर्य रखना होगा..RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-11053441436649933172009-05-09T12:04:00.000+05:302009-05-09T12:04:00.000+05:30एक वकील होने के नाते यह स्वीकार करता हूँ कि वकीलों...एक वकील होने के नाते यह स्वीकार करता हूँ कि वकीलों में कोई सामुहिक चेतना नहीं होती। वे संगठित इसलिए दिखाई देते हैं कि वे एक ही स्थान पर काम करते हैं और अधिवक्ता संघ का सदस्य होना उन के लिए जरूरी है। जब वे कोई सामुहिक गतिविधि करते हैं तो एक भीड़ की तरह काम करते हैं। उन की सामुहिक गतिविधियाँ व्यक्तिगत स्वार्थों पर केन्द्रित रहती हैं। उन में यह चेतना भी नहीं होती कि वे अपने समुदाय की हानि कर रहे हैं या लाभ। वे सामुहिक हितों के लिए कुछ नहीं करते। वे सामुहिक हितों के लिए सोचने लगें तो सामाजिक हो सकते हैं। वकील वास्तव में असंगठित समुदाय है। उसे सामुदायिक हितों के लिए संगठित होने की आवश्यकता है। यदि ऐसा हो सके तो वह सामाजिक बदलाव की बहुत बड़ी शक्ति के रूप में उभर कर सामने आ सकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-36503446089903017132009-05-09T11:53:00.000+05:302009-05-09T11:53:00.000+05:30अपना अहम सबसे महत्वपूर्ण है दूसरे को क्षति हो तो ह...अपना अहम सबसे महत्वपूर्ण है दूसरे को क्षति हो तो हो इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता बस अंहकार को संतुष्टि मिल जानी चाहियेअक्षत विचारhttps://www.blogger.com/profile/16381420919782121467noreply@blogger.com