tag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post6367459345519004860..comments2024-02-20T18:32:58.638+05:30Comments on टूटी-फूटी: कानून की मदद करना मूर्खता है…।रचना त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-81505736442725807812009-07-09T12:17:59.188+05:302009-07-09T12:17:59.188+05:30jo hua so hua .bhool jaiye. aage se savadhani aur ...jo hua so hua .bhool jaiye. aage se savadhani aur badha dijiyega.is beech ek achhi baat yah hua ki aapko post ke liye ek badhiya aur samayik vishya mil gaya.kuchh bura bhale ke liye bhi hota hai.positive side dekhiye.balmanhttps://www.blogger.com/profile/18198707162193691860noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-23337466935682227052009-07-07T17:02:42.622+05:302009-07-07T17:02:42.622+05:30आपका मानसिक संत्रास सहज ही संवेदित है -कानून के पह...आपका मानसिक संत्रास सहज ही संवेदित है -कानून के पहरेदार,लम्बरदार और पैरोकार कहाँ हैं ?<br />और आपकी पोस्ट के माध्यम से मैं आगाह करना चाहता हूँ उन तमाम ब्लॉगर मित्रों को जो कभी रेल द्बारा बनारस आयें या इधर से गुजरें -यहाँ एक संगठित गिरोह है और पिछले दस साल से मैं स्वयं देख रहा हूँ वह अबाध गति से देशी विदेशी लोगों को लूट रहा है -कभी कभी तो बहुत ह्रदय विदारक दृश्य होता है जब पूरी तरह लुट चुके विदेशी दहाड़ मार मार के रोते हैं -कई बार यह गिरोह जाहर देकर आसामियों को लूटता है -लोग जान गवां बैठते हैं -यह आये दिन हो रहा है -कानून ? यह किस चिडिया का नाम है ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-47614830888286712242009-07-06T23:44:53.246+05:302009-07-06T23:44:53.246+05:30हम तो इसे एक सामान्य घटना मानते हैं ! बिडम्बना !हम तो इसे एक सामान्य घटना मानते हैं ! बिडम्बना !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-31030556079964455902009-07-06T23:37:53.067+05:302009-07-06T23:37:53.067+05:30मानसिक हलचल ऐसी-रेल्वे से शुरु हुई..रेल के साथ चली...मानसिक हलचल ऐसी-रेल्वे से शुरु हुई..रेल के साथ चली और ब्लॉग पर छा गई और कानून आँख पर पट्टी बाँधे अपने अंधे होने का और व्यवस्था अपने पंगु होने का सबूत दे रही है.<br /><br />मन खिन्न होता है इस वाकिये जान कर मगर कितनी देर को..कितने अभ्यस्त हो गये हैं हम इस तरह जीने को.<br /><br />अच्छी रही यह हलचल भी-सोचने को मजबूर करती.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-22079256133722843132009-07-06T18:38:53.751+05:302009-07-06T18:38:53.751+05:30कानून सब से बेचारा है, कम से कम हमारे देश में। कोई...कानून सब से बेचारा है, कम से कम हमारे देश में। कोई उसे गिनता कहाँ है। खास तौर से सरकार गिनती ही नहीं। उसे गिनती नहीं आती। कानूनों की संख्या हर साल बढ़ती है। जनसंख्या रोज बढ़ती है। लेकिन अदालतें और पुलिस नहीं बढ़ती। कानून तो इस देश में लाठी वाले की भैंस हो कर रह गया है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-58548172656819123202009-07-06T15:15:41.236+05:302009-07-06T15:15:41.236+05:30इसी प्रकार की कुछ घटनायें, और हमारा विश्वास सभ्यता...इसी प्रकार की कुछ घटनायें, और हमारा विश्वास सभ्यता और संस्कृति से उठने लगता है।<br />समस्या तब और होती है जब कुछ समाज सेवी इसे चोर की गरीबी, पुलिस वाले की कम तनख्वाह और कोर्ट कचहरियों में न्यायधीशों की कमी से जोड़ने लगते हैं। <br />यह आउट एण्ड आउट भ्रष्ट चरित्र का मामला है - बस!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-930979730883557122009-07-06T11:32:21.711+05:302009-07-06T11:32:21.711+05:30बहुत दुखद. सभी को इन हालातों से कभी ना कभी गुजरना ...बहुत दुखद. सभी को इन हालातों से कभी ना कभी गुजरना ही पडता है. और पुलिस के चक्कर की वजह से अक्सर लोग चुप ही रहते हैं. और यही कारण है कि अपराधियों का होसला बढता ही जाता है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-22516207439820006322009-07-06T10:15:22.919+05:302009-07-06T10:15:22.919+05:30यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयम करें -रेलवे इस...यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयम करें -रेलवे इसी नारे के साथ आराम फरमाएगा .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-8923348214993042782009-07-06T09:58:53.671+05:302009-07-06T09:58:53.671+05:30बहुत दुख की नात है चोरी होना तो दुखद है ही लेकिन य...बहुत दुख की नात है चोरी होना तो दुखद है ही लेकिन ये पोलिस का चक्कर उस से भी अधिक दुखद है तभी तो लोग चुप रहने मे ही भला समझते हैं और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलता हैनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com