tag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post5331852551035831493..comments2024-02-20T18:32:58.638+05:30Comments on टूटी-फूटी: सब कुछ उल्टा-पुल्टा… पर अच्छा ही रहा।रचना त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-71783184939574081792009-05-08T12:09:00.000+05:302009-05-08T12:09:00.000+05:30aapki post padhakar divar girane ka gam hi nahi ho...aapki post padhakar divar girane ka gam hi nahi hota.itani saral aur pravah-purna post padhkar maja aa gaya.balmanhttps://www.blogger.com/profile/18198707162193691860noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-86849284474731755202009-05-07T17:45:00.000+05:302009-05-07T17:45:00.000+05:30आप ने इसे ऐसे प्रस्तुत किया है कि लगता है मेरे घर ...आप ने इसे ऐसे प्रस्तुत किया है कि लगता है मेरे घर की घटना है।आप की मेहनत से बोई गई भिण्डी बच गयी...बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-21639410996272178662009-05-05T23:03:00.000+05:302009-05-05T23:03:00.000+05:30हम भी रात के कोहराम के साक्षी रहे,शीशा न टूट जाये ...हम भी रात के कोहराम के साक्षी रहे,शीशा न टूट जाये इसलिये पूरे घर की करीब एक दर्जन खिड़कियाँ बंद करने को उठे, गाड़ी जो बाहर खड़ी थी उसे अंदर किया, ताकि पानी बरसने में भीग न जाये। छत पर अकेले जाने में डर लगा तो भइया को ले गये(डर तो बहाना होता था, बड़े भाई के साथ का एहसास ही कुछ और होता है)। <br /><br />थोड़ा सा आंधी तूफान आ जाता है तो कामवाली छुट्टी भी मार देती है, जब देखा कि 8 बजे तक नही आई, आंधी की भरी धूर निकालनने के लिये झाडू ले कर जुट गये। कह सकते है मेरे लिये खुशियों भरी आंधी थी परन्तु कईयो को झटका दे गई।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-91834865953548732752009-05-05T22:59:00.000+05:302009-05-05T22:59:00.000+05:30बहुत बढिया लगा आपको पढकर .. अच्छा लिखा आपने।बहुत बढिया लगा आपको पढकर .. अच्छा लिखा आपने।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-24464968711885620412009-05-05T21:32:00.000+05:302009-05-05T21:32:00.000+05:30दीवार टूटी, किचेन गार्डेन का नुकसान हुआ। यह तो दुख...दीवार टूटी, किचेन गार्डेन का नुकसान हुआ। यह तो दुखद है। लेकिन आपके सहज लेखन से मन एक बार फ़िर खुश हो गया। अनायास पूरी पोस्ट पढ़ ली जाये और लगे कि कुछ और लिखा होता यह अपने आप में उपलब्धि है मेरी समझ में सहज लेखन की। बधाई! बकिया सब ठीक हो जायेगा। चिन्ता न करें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-55585956852251032562009-05-05T17:27:00.000+05:302009-05-05T17:27:00.000+05:30सरकारी थी दीवाल तो गिरनी ही थी
नहीं थी साकल तो ग...सरकारी थी दीवाल तो गिरनी ही थी <br /> नहीं थी साकल तो गाय चरनी ही थी <br />बहरहाल आप सभी स्वस्थ है ! यह ठीक है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-77547989754157509832009-05-05T12:36:00.000+05:302009-05-05T12:36:00.000+05:30ढह गयी दीवार'
चर गयी गाय'
दब गये पौधे'
मगर बच गयी...ढह गयी दीवार' <br />चर गयी गाय'<br />दब गये पौधे'<br />मगर बच गयी भिण्डी !<br /><br />अंत भला तो सब भला. <br /><br />छोटी-छोटी बातों में ही तो असली ख़ुशी मिलती है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1250026273991753826.post-22663116486256444782009-05-05T11:43:00.000+05:302009-05-05T11:43:00.000+05:30यही संस्कार हैं हमारे, बिल्कुल सही प्रस्तुतिकरण , ...यही संस्कार हैं हमारे, बिल्कुल सही प्रस्तुतिकरण , और छोटी छोटी चीज़ों मे खुश होना अच्छी बात लगती है .<br /><br />धन्यवाद,<br /><br /><br /><A HREF="http://sarparast.blogspot.com" REL="nofollow">मयूर</A>MAYURhttps://www.blogger.com/profile/07342867687077320304noreply@blogger.com